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ग़ालिब को मुख्यतः उनकी उर्दू ग़ज़लों को लिए याद किया जाता आज। जानिए मिरज़ा ग़ालिब के वो कोनसे 15 शेर है जो आज भी लोगों के दिलों में बेस हुए है। 1 उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़ वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है 2 वो आए घर में हमारे, खुदा की…
हमारे शहर के लोगों का अब अहवाल इतना है कभी अख़बार पढ़ लेना कभी अख़बार हो जाना इस क़दर तेज़ हवा के झोंके शाख़ पर फूल खिला था शायद आंसू जो रुका वो किश्त-ए-जां में बारिश की मिसाल आ गया है मिरा सुकूं भी मिरे आंसुओं के बस में था ये मेहमां मिरी दुनिया निखारने आत कुछ यादगार अपनी मगर छोड़ कर…
चाँद से फूल से या मेरी जुबां से सुनिए, हर तरफ आप का किसा जहां से सुनिए, सब को आता है दुनिया को सता कर जीना, ज़िंदगी क्या मुहब्बत की दुआ से सुनिए, मेरी आवाज़ पर्दा मेरे चहरे का, मैं हूँ खामोश जहां मुझको वहां से सुनिए, क्या ज़रूरी है की हर पर्दा उठाया जाए, मेरे हालात अपने अपने मकान…
वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है बहुत अज़ीज़ हमें है…
सहमा सहमा डरा सा रहता है, जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है.…
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