Best Shayari of Anwar Shaoor

Anwar Shaoor
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हमेशा हात में रहते हैं फूल उन के लिए किसी को भेज के मंगवाने थोड़ी होते हैं
 
‘शुऊर’ ख़ुद को ज़हीन आदमी समझते हैं ये सादगी है तो वल्लाह इंतिहा की है
 
वो मुझ से रूठ न जाती तो और क्या करती मिरी ख़ताएँ मिरी लग़्ज़िशें ही ऐसी थीं
 
सामने आ कर वो क्या रहने लगा घर का दरवाज़ा खुला रहने लगा

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