ग़ालिब को मुख्यतः उनकी उर्दू ग़ज़लों को लिए याद किया जाता आज।…
हमारे शहर के लोगों का अब अहवाल इतना है कभी अख़बार पढ़…
चाँद से फूल से या मेरी जुबां से सुनिए, हर तरफ आप…
आइना देख कर तसल्ली हुई, हम को इस घर में जानता है…
तुम्हारी ख़ुश्क सी आँखें भली नहीं लगतीं वो सारी चीज़ें जो तुम…
"झुकी झुकी सी नज़र" बेक़रार है कि नहीं दबा दबा सा सही…
हमेशा हात में रहते हैं फूल उन के लिए किसी को भेज…
बैठा है मेरे सामने वो जाने किसी सोच में पड़ा है अच्छी आँखें मिली…
या रब वो न समझे हैं न समझेंगे मेरी बातदे और दिल…
क्या जानिए किस बात पे मग़रूर रही हूँ कहने को तो जिस…
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