क्या जानिए किस बात पे मग़रूर रही हूँ कहने को तो जिस राह चलाया है…
तुम्हारी ख़ुश्क सी आँखें भली नहीं लगतीं वो सारी चीज़ें जो तुम को रुलाएँ, भेजी…
सहमा सहमा डरा सा रहता है, जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है. जब भी ये…
क्या जानिए किस बात पे मग़रूर रही हूँ कहने को तो जिस राह चलाया है…
ग़ालिब को मुख्यतः उनकी उर्दू ग़ज़लों को लिए याद किया जाता आज। जानिए मिरज़ा ग़ालिब…
आइना देख कर तसल्ली हुई, हम को इस घर में जानता है कोई। Looking in…
या रब वो न समझे हैं न समझेंगे मेरी बातदे और दिल उन को जो…
सहमा सहमा डरा सा रहता है, जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है. जब भी ये दिल उदास होता है जाने कौन…
क्या जानिए किस बात पे मग़रूर रही हूँ कहने को तो जिस राह चलाया है चली हूँ तुम पास नहीं…
हमारे शहर के लोगों का अब अहवाल इतना है कभी अख़बार पढ़ लेना कभी अख़बार हो जाना इस क़दर तेज़…
हमेशा हात में रहते हैं फूल उन के लिए किसी को भेज के मंगवाने थोड़ी होते हैं 'शुऊर' ख़ुद…
बैठा है मेरे सामने वो जाने किसी सोच में पड़ा है अच्छी आँखें मिली हैं उस को वहशत करना भी आ गया है बिछ…
आइना देख कर तसल्ली हुई, हम को इस घर में जानता है कोई। Looking in the mirror, I felt relieved…
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