हमारे शहर के लोगों का अब अहवाल इतना है
कभी अख़बार पढ़ लेना कभी अख़बार हो जाना
इस क़दर तेज़ हवा के झोंके
शाख़ पर फूल खिला था शायद
आंसू जो रुका वो किश्त-ए-जां में
बारिश की मिसाल आ गया है
मिरा सुकूं भी मिरे आंसुओं के बस में था
ये मेहमां मिरी दुनिया निखारने आत
कुछ यादगार अपनी मगर छोड़ कर गईं
जाती रुतों का हाल दिलों की लगन सा है